Budget session of the Assembly | The government will make the caste census report public! Know CM’s answer
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सरकार सार्वजनिक कर सकती है। आज विधानसभा में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सीएम सीएम विष्णुदेव साय से इस संबंध में प्रश्न किया था। चंद्राकर ने पूछा कि क्या सरकार जगणना रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी। इस पर सीएम साय ने कहा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर विचार करेंगे।
चंद्राकर ने पूछा था कि क्वांटिफायबल डाटा आयोग कब और किन उद्देश्यों से गठित किया गया? उसका कार्यकाल कितनी अवधि का था? उसके कार्यकाल को कितनी बार बढ़ाया गया और अंतिम बार कितनी अवधि के लिए कब तक बढ़ाया गया? रिपार्ट राज्य सरकार को कब सौंपी गई? किन-किन संस्थाओं को देनी थी? इसके चेयरमेन व सदस्य कौन-कौन थे तथा इनको क्या-क्या सुविधायें दी गयी और कितनी राशि व्यय की गई? क्वांटिफायबल डाटा आयोग ने क्या-क्या अनुशंसाएं दीं? क्या उन अनुशंसाओं का उपयोग राज्य सरकार ने कर लिया है? यदि कर रही है तो इनका उपयोग किन-किन क्षेत्रों में कर रही है? यदि नहीं कर रही है तो इस आयोग का गठन क्यों किया गया?
इस पर सीएम साय ने बताया कि क्वांटिफायबल डाटा आयोग सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक एफ 13-9/2019/आ.प्र./1-3 11.09.2019 द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य राज्य की जनसंख्या में अन्य पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण कर क्वांटिफायबल डाटा एकत्रित किया जाना था। आयोग का कार्यकाल 06 माह में प्रतिवेदन शासन को सौंपने के लिए गठन किया गया था, किन्तु प्रतिवेदन अपेक्षित होने के कारण आयोग का कार्यकाल 10 बार बढ़ाया गया, अंतिम बार 2 माह की अवधि के लिए 31.12.2022 तक के लिये बढ़ाया गया, आयोग ने अपनी रिपोर्ट/प्रतिवेदन 21.11.2022 को राज्य सरकार को सौंपी।
उक्त रिपोर्ट/प्रतिवेदन किसी भी संस्थाओं को नहीं दी गई है। क्वांटिफायबल डाटा आयोग के चेयरमेन सेवानिवृत्त जिला एवं सेशन जज थे, आयोग में सदस्य नियुक्त नहीं किये गए थे। आयोग के चेयरमेन को मानदेय तथा समान पद के न्यायिक अधिकारियों को उपलब्ध सुविधाओं के अनुरूप सुविधाएं दी गई थी। कुल राशि रूपये 1,07,06,856/-( एक करोड़ सात लाख, छः हजार आठ सौ छप्पन) व्यय की गई। आयोग से प्राप्त प्रतिवेदन में अनुशंसा नहीं अपितु निष्कर्ष दिये गये हैं, जिसके आधार पर दिनांक 01, 02 दिसम्बर, 2022 को विधान सभा के विशेष सत्र में राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 तथा छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 लाया गया, जो सर्वसम्मति से विधान सभा द्वारा पारण किया गया है। राज्य शासन द्वारा आयोग से प्राप्त उक्त निष्कर्ष एवं डाटा का उपयोग छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 तथा छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 में किया गया। (ग) जी नहीं।
आयोग का गठन राज्य की जनसंख्या में अन्य पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण कर क्वांटिफायबल डाटा एकत्रित कर प्रतिवेदन शासन को सौंपने हेतु गठन किया गया था। आयोग से प्राप्त निष्कर्ष/डाटा को राज्य सरकार द्वारा स्वीकार कर छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 तथा छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 में किया गया है।