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25 मई 2024 | पॉक्सो अधिनियम-2012 की धारा-44 के तहत उल्लेखित अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी और पॉक्सो पीड़ितों की सेवाओं की सुविधा के लिये समर्पित प्रणाली की आवश्यकता को समझते हुए 17 जुलाई, 2022 को पॉक्सो ट्रेकिंग पोर्टल लांच किया गया। भारत में बच्चों के यौन उत्पीड़न से संबंधित जटिल और संवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2012 में पॉक्सो अधिनियम लागू किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न, यौन प्रताड़ना और अश्लीलता जैसे अपराधों से बचाना है।

ट्रेकिंग पोर्टल की संकल्पना राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के संयुक्त सहयोग से की गई है। यह पोर्टल आयोग की एक ऐसी पहल है, जहाँ पहली बार तकनीक के माध्यम से बाल यौन शोषण से पीड़ित बच्चों के अधिकारों और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की निगरानी सुनिश्चित की जा रही है। वर्तमान में यह पोर्टल बाल यौन शोषण पीड़ित बच्चों की सुरक्षा, देखभाल, मुआवजे तथा पुनर्वास आदि सेवाओं की निगरानी के लिये कार्यरत है।

ट्रेकिंग पोर्टल की विशेषताएँ

यह पोर्टल बच्चों से संबंधित सेवाओं के लिये एक डिजिटल और पारदर्शी तंत्र है। यह पुलिस और DCPA को उनके कर्त्तव्यों के प्रभावी निर्वहन के लिये आसान और उपयोगी प्रणाली प्रदान करता है। DCPU, CWC और पुलिस की कार्य-प्रणाली में सुधार करता है। यह बाल मैत्रीपूर्ण प्रक्रियाओं का कार्यान्वयन करता है। पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और कानूनी सेवा प्राधिकरणों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है। बाल यौन शोषण के मामलों में पुनर्वास की प्रक्रिया पर नजर रखना, बाल यौन शोषण के मामलों में कर्त्तव्य धारकों की जवाबदेही तय करना, मामलों की बेहतर निगरानी के लिये SCPCR को सहायता प्रदान करना भी इसका कार्य है। इसके माध्यम से NALSA/SLSA जिला स्तरीय DLSA के विचाराधीन मामलों की स्थिति देख सकेंगे और पीड़ितों से जुड़े सहायक व्यक्तियों, दुभाषियों, अनुवादकों, विशेषज्ञों और परामर्शदाताओं के बारे में जानकारी तक पहुँच सकेंगे।

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