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रायपुर, 15 सितम्बर 2024

अमृत टुडे । 1 सितंबर से चलाई जा रही राष्ट्रीय अभियान के तहत जमात इस्लामी महिला विभाग ने समय रहते समाज के नैतिक मूल्यों के पतन को नोट करते हुए समाज के ज्वलंत मुद्दों पर अभियान की शुरुआत की है। कहा जाता है कि समाज का नैतिक पतन समाज की बर्बादी का कारण होता है और हमारा समाज तेजी से नैतिक पतन का शिकार हो रहा है। नैतिकता के गिरते ग्राफ और स्वतंत्रता के नाम पर युवाओं की बढ़ती हुई अपराध प्रवृत्ति भारतीय सभ्यता पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।

इस बेलगाम आज़ादी की तबाही का यह आलम है कि नैतिक मूल्यों का आधार, जिसे हर समुदाय में समान रूप से माना जाता था, वह पूरी तरह से धराशायी हो गया है। जो काम पहले छुपकर करने की आज़ादी नहीं थी, अब वे खुले तौर पर और बिना किसी शर्मिंदगी के किए जा रहे हैं।इन्हीं विषयों पर चर्चा करने के लिए रायपुर, छत्तीसगढ़ के प्रेस क्लब में जमात ए इस्लामी के महिला विंग की तरफ से एक प्रेस मीट का आयोजन किया गया इस प्रेस मीट को राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की सदस्य फाखरा साहिबा ने संभाला हुआ था।

सर्वप्रथम राज्य अध्यक्ष सुल्ताना परवीन साहिबा ने मीडियाकर्मियों का आभार व्यक्त करते हुए संक्षिप्त में अभियान के संबंध में चर्चा की और इस अभियान को सक्रिय बनाए रखने के लिए मीडिया की प्रमुख जिम्मेदारी और सहयोग पर बात की।

राज्य संयोजक नुजहत आबिदा ने नैतिक पतन के कारण बढ़ रहे अपराधों के आंकड़ों पर चर्चा की, खासतौर पर आर.जे. मेडिकल कॉलेज, कोलकाता में हुए बलात्कार मामले पर महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने समाज के अपेक्षित वर्गों – मजदूर, आदिवासी, दलित महिलाओं के साथ हो रहे यौन शोषण और दुर्व्यवहार पर बात रखते हुए कन्या भ्रूण हत्या, जो समाज की बर्बर और अनैतिक धारणाओं को दर्शाती है, पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जो समाज बेटी को गर्भ में ही मारने की जलील हरकत को सही ठहराता है, वह जमीनी स्तर पर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘लाड़ली योजना’ जैसी योजनाओं के माध्यम से वास्तव में स्त्री की अस्मिता को बनाए रखने की दिशा में कैसे कदम उठा सकता है, ऐसे प्रश्नों को उन्होंने उठाया।भारतीय इतिहास के चर्चित घटनाक्रमों में अपराध के रूप में गिने जाने वाले बिलकिस बानो केस, कठुआ, हाथरस, आसिफा, राम रहीम, निर्भया जैसे अपराधों और हत्याओं पर भी चर्चा की।

लोगो की अवधारणा: छत्तीसगढ़ की उपाध्यक्ष जुवेरीया बानू साहिबा ने प्रस्तुत करते हुए कहा,”लोगो में मौजूद मशाल रोशनखयाली, ऊर्जा और जोश का प्रतीक है, जो समाज के अंधकार को दूर करके उसे रोशनी की ओर ले जाने की अवधारणा को दर्शाती है। बेस डिज़ाइन में जो किताब है, वह शिक्षा और समाज को शैक्षिक प्रगति के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की दिशा में प्रेरित करती है। लोगो का घेरा एकता और सद्भावना की ओर ध्यान आकर्षित करता है। नीला रंग ज्ञान और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है, जो हमें इस दिशा में प्रेरित करता है। इस लोगो का शीर्षक इसे एक मजबूत और शक्तिशाली संदेश देता है।

“राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की सदस्य फख़रा तबस्सुम साहिबा ने पत्रकार बंधुओं की तरफ से उठाए गए सवालों का इत्मीनानबख़्श जवाब दिया।

“नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी की सदस्य फाखरा तबस्सुम ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार, जो एक बीमारी के रूप में फल-फूल रहे हैं, उसके असर हमारे देश की शांति और प्रगति को प्रभावित कर रहे हैं। इस बीमारी का मूल कारण नैतिक मूल्यों का पतन है। समाज में नैतिक मूल्यों के पतन के कारण महिलाओं के साथ यौन शोषण, विवाहोत्तर संबंध, शराब और नशीली दवाओं का बढ़ता उपयोग, आत्महत्या, पारिवारिक इकाइयों का टूटना तथा शिक्षा का नैतिक असर, जो हमारे समाज से खत्म होता जा रहा है, उस पर मुख्य रूप से ध्यान दिलाया।

इस समय अभियान को सामाजिक स्तर पर कामयाब बनाने के लिए जमात-ए-इस्लामी वीमेन डिपार्टमेंट छत्तीसगढ़ ने अलग-अलग तरह के आकर्षक प्रोग्राम तरतीब दिया है। एक माह तक चलाए जा रहे इस अभियान में क्विज़ कंपटीशन, निबंध प्रतियोगिता, इंटरफेथ सेमिनार, टी पार्टियाँ, बौद्धिक व्यक्तित्व से मुलाकात, विश्वविद्यालय, स्कूलों, कॉलेजों में नैतिकता पर चर्चाएँ तथा जागरूकता के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करना शामिल हैं। साथ ही, स्लम क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे नौजवानों, बच्चों तथा महिलाओं को जागरूक करने का बीड़ा उठाया गया है। हाल ही में जमात-ए-इस्लामी वीमेन विंग रायपुर ने महिला थाना अधिकारी से मुलाकात कर अपना ज्ञापन सौंपा है।

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