भारत ने ही विश्व को आदर्श और मूल्यों का ज्ञान दिया है – बीके स्वाति दीदी
23 सितम्बर 2024, बिलासपुर
अमृत टुडे। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो विश्व के कल्याण की बात करता है। भारत विश्व गुरु था और फिर से एक दिन निश्चित रूप से विश्व गुरु बनेगा। स्वर्णिम भारत की परिकल्पना जल्द ही साकार होगी। दुनिया के इतिहास में सच्चाई और शांति का संदेश देने वाला भारत के अलावा और कोई दूसरा राष्ट्र नहीं है। भारतीय होना अपने आप में गर्व और शान की बात है।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में आयोजित कार्यक्रम “आज के परिवेश में सनातन संस्कृति की आवश्यकता” विषय पर सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा।
दीदी ने कहा कि भारत देवी-देवताओं की भूमि है। यहां की सभ्यता में वह मूल्य की पूंजी है जो दूसरे देशों में देखने को नहीं मिलती है। एक भारत देश ही है जिसे माता शब्द से सम्बोधित किया जाता है और किसी भी देश के साथ कभी माता का संबोधन नहीं होता है। भारत ने सबको शरण दी है। भारत ने ही विश्व को आदर्श और मूल्यों का ज्ञान दिया है। विश्व को एक परिवार मानते है। विश्व की सभी आत्मायें शांति की तलाश में हैं। पर उन्हें क्षणिक शांति ही मिल पा रही है। अगर हमें सच्ची शांति चाहिए तो हमें अध्यात्म की तरफ वापस लौटना होगा। अध्यात्म हमें हमारी आत्मा से जोड़ता है अर्थात यह अंतर्जगत की एक ऐसी यात्रा है जिसमें हम अपने मन और बुद्धि को अपनी आत्मा की तरफ मोड़कर परमपिता परमात्मा से जुड़ते हैं। शांति के सागर से असीम शांति की किरणें आत्मा में भरकर पूरे विश्व में शांति का प्रकम्पन फैलाते हैं। सारे विश्व की निगाहें भारत की ओर हैं क्योंकि भारत में पुरातन संस्कृति अध्यात्म और योग हमें वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना सिखाती है। सर्व भवंतु सुखिन: की भावना और सोच वाली हमारी संस्कृति है। अपने बेटे को डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक बनाने के पहले एक अच्छा इंसान बनाएं। हर मां को यह संकल्प करना चाहिए। अच्छा इंसान बनना आज समय की जरूरत है। कितनी भी भौतिक सुख-सुविधाएं, पैसा कमा लें लेकिन यदि जीवन में सुख-शांति, आनंद, प्रेम, सुख और पवित्रता नहीं तो सब व्यर्थ है।
वन्दे मातरम मित्र मंडल के संयोजक महेन्द्र जैन ने कहा कि वन्दे मातरम मित्र मंडल समाज के सभी वर्गों की नि:स्वार्थ सेवा एवम उत्थान में लगा है। विशेष कर सफाई मित्रों को दिए गए सम्मान, समाज के सबसे निचले तबके एवम वंचितों को अपने साथ लेकर चल रहा है और उनकी सेवा में लगा है। समाज में व्याप्त विषमताओं को दूर कर सर्व को जागृत करना है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। जिसमें हर जाति के लोगो का समावेश है। सदाचार, सच्चाई, सद्भाव, दया, प्रेम, करुणा, क्षमा और धैर्य हमारे मूल्य हैं। इनके आधार से ही व्यक्ति के चरित्र का निर्धारण किया जाता रहा है। जहां सब सुखी रहें, सब स्वस्थ रहें। भारत ने ही दुनिया को सभ्यता- संस्कृति औैर शांति दी है। जिसके विचारों, मन और भाव में सुख नहीं है, वह दुनिया में क्या सुख बांटेगा। सुख पाने के लिए मन-मस्तिष्क का सही होना जरूरी है।
मानव सेवा, गरीब की सेवा, गौसेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। अहिंसा परमो धर्म: का हमारा संस्कार रहा है। हमारे समाज की प्रार्थना और सोच ही सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: की रही है।
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके संतोषी दीदी ने विश्व शांति, बंधुत्व एवं नैतिक उत्थान की दिशा में निरंतर कार्यरत प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय का संक्षिप्त में परिचय दिया। दीदी ने बताया कि राजस्थान की भूमि में आबू की अरावली पर्वतों पर स्थित अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसका मूल उद्देश्य है व्यक्तिगत परिवर्तन अर्थात स्व परिवर्तन से विश्व का परिवर्तन और साथ ही महान भारत देश की संस्कार को विश्व में उजागर करना। यह विश्व की एकमात्र सबसे बड़ी संस्था है जिसका पूर्णता संचालन माता बहनों द्वारा होता है।
मंच का कुशल संचालन करते हुए लायंस क्लब एंबेसडर कमल छाबड़ा जी ने बिलासपुर शहर में ब्रह्माकुमारी संस्था की स्थापना के बारे में बताते हुए कहा कि 1978 में बिलासपुर शहर में संस्था की स्थापना हुई एवं दिसम्बर 1988 में छत्तीसगढ़ में ब्रह्मा कुमारीज की मुख्य शाखा के प्रथम भवन टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन का विधिवत उद्घाटन किया गया। वर्तमान सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी के नेतृत्व में समाज के विभिन्न वर्ग तक अपनी सेवाएं पहुंचने के लिए अनेक कार्यक्रम किए जाते है। जिसमें व्यसन मुक्ति, मेडिकल कैंप, तनाव प्रबंधन, महिला सशक्तिकरण, बंदी गृह में सेवाएं किसान सशक्तिकरण आदि एवं संस्था में निशुल्क कोर्सेस पांच दिवसीय राजयोग शिविर, तनाव मुक्त जीवन, क्रोध प्रबंधन, सकारात्मक चिंतन, नशा मुक्ति आदि उपलब्ध है और इन्हीं सभी सेवाओं को देखते हुए बीके स्वाति दीदी को नारी रतन से छत्तीसगढ़ गौरव सम्मान से अन्य समाज संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के पश्चात प्रभु प्रसाद का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 150 से अधिक भाई बहने उपस्थित रहे।