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अम्बिकापुर : मुद्रा योजना की बदौलत खड़ा किया अपना डेयरी का व्यवसाय, ज़ीरो से शुरू कर आज बनाया अपना मुकाम…..

बच्चों के सर से पिता का साया उठा और घर से कमाऊ हाथ, काफी मुश्किल रहा समय, अब नहीं रुकूंगी, बेटी को टीचर बनाने का सपना होगा पूरा – नीतू

अम्बिकापुर, 28 दिसम्बर 2024

अमृत टुडे। नीतू चंवर अम्बिकापुर के ठनगनपारा में अपने दो बच्चों के साथ रहती हैं। कभी कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाली नीतू की जिंदगी आज खुशियों से भर गई है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से लोन लेकर नीतू ने डेयरी का व्यवसाय शुरू किया है और आर्थिक रूप से सशक्त हुईं। बीते सालों को याद करते हुए नीतू अपनी आपबीती बताते हुए कहतीं हैं, जो संकट का समय मैंने देखा है, वो किसी के जीवन में ना आए। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले उनके पति का निधन हो गया। पति टेलरिंग का कार्य करते थे, जिससे रोजी-रोटी चलती थी। दो बच्चों की परवरिश, उनके पढ़ाई-लिखाई सबका खर्च, इसी काम से चल रहा था। पति का निधन हमारे जीवन में दुःखों के पहाड़ की तरह था। एक तो बच्चों के सर से उनके पिता का साया उठ जाना और ऊपर से परिवार के इकलौते कमाने वाले व्यक्ति का चले जाना। ऐसे में मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती बच्चों का पालन-पोषण और उनका भविष्य था, उनके भविष्य की चिंता मुझे सताने लगी। तब मैंने स्वयं कुछ काम करने का सोचा,  लेकिन कुछ समझ नही आ रहा था कि कहा से और कैसे शुरू करुँ। क्योंकि किसी भी व्यवसाय के लिए पैसे की जरूरत थी, जो बचत थी, वो भी खत्म हो गई थी। ऐसे में मुझे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में पता चला। मैंने आवेदन किया, मुझे 25 हजार का लोन मिला। लोन मिलने के बाद मैंने एक गाय ख़रीदी और डेयरी का व्यवसाय शुरू किया।

आज नीतू के पास हैं 8 गाय, दूध बेचकर लाखों में होती है कमाई-
डेयरी का व्यवसाय शुरू करने के बाद नीतू को दूध बेचकर अच्छी कमाई होने लगी। जैसे-जैसे आमदनी बढ़ती गई, नीतू ने और गाय खरीदी। आज उनके पास कुल 08 गाय हैं, जिससे नीतू रोजाना 60 लीटर दूध बेचतीं हैं। नीतू को महीने में लगभग 1 लाख रुपए तक की आमदनी होती है। गाय की देखभाल, चारा आदि के बाद भी के अच्छी खासी राशि की बचत हो जाती है।

बेटी रेणु का शिक्षिका बनने का सपना अब होगा पूरा-
नीतू की बड़ी बेटी रेणु एमए की पढ़ाई कर रहीं हैं। रेणु बताती हैं कि पिता के निधन के बाद हमारा परिवार बिखर गया। मैं अपनी पढ़ाई छोड़कर मां के साथ साप्ताहिक बाजार में मनिहारी का सामान बेचने लगी और छोटा भाई रमन अपनी पढ़ाई छोड़कर प्राइवेट नौकरी करने लगा। मेरा सपना पढ़- लिखकर शिक्षिका बनने का है, आज जब हमारी आर्थिक स्थिति ठीक हो गई है, तो वो सपना भी पूरा होगा। एमए की पढ़ाई के बाद मैं बीएड करूंगी और शिक्षिका बनूंगी। वहीं भाई को भी आगे पढ़ाई करने और सरकारी नौकरी के लिए प्रेरित करूंगी।

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