रायपुर, 19 जनवरी 2025
अमृत टुडे ।आज हमन जानबोन हमर नंदावत परम्परा डूड़वा के बारे म। का हरे डूडवा अउ का हे एकर उपयोगिता तेला।आज के आधुनिकता के दौर म हमन हमर सबो पुराना परम्परा मन ल बिसरावत जात हन। पुरखा मन के देवल आविस्कार मन ह सल्लग नंदावत जात हे, कारण आज सबला सस्ता म बिना कुछू मेहनत के अउ टिकाऊ समान चाही। हमर पुरखा मन के आविस्कार मन ह सुघ्घर वैज्ञानिक सम्मत राहय। चाहे एमा डेंकी ल कहिके, जाता कहिले, बइला गाड़ी, नांगर, ठेलवा, घानी, गोरसी, आदि सबो जिनिस मन ह एक के बड़के एक आविस्कार आए। फेर ऐला बनाये म अड़बड़ मेहनत लागथे, बेरा लागथे।
आज मनखे ह अइसन जिनिस मन ल अपनावत हे जेन ह सरलता के उपलब्ध हो जाये, बनाये वानाए के झनझट नई पालना चाहे, रेडीमेंट मिल जाय कहिथे। अइसने सबो फेक्टर के सती हमर पुरखा मन के परमपरा अविस्कार मन ह सल्लग नंदावत जात हे। अइसने नन्दावत परम्परा मन म एक जिनिस डूड़वा तको हरे, यहू जिनिस ह सल्लग नंदावत जात हे।
आवव जानन का हरे ड़ूड़वा:-
डूड़वा हमर पुरखा मन के आविस्कार एकठन सुघ्घर अउ अनोखा जिनिस आए। डूड़वा ह माटी ले बने जीनिस हरे। एकर आकर ह कछवा पेटी असन गोल रहिथे, एकर आजू बाजू म दू ठन हेंडल बने रहिथे। इही हेंडल म रस्सी बांध के ऐला मियार म या छानही म बांधे जाथे। ए डूड़वा म हमर पुरखा मन ह तेल रखे बर उपयोग करे। ऐला बनाये म अड़बड़ मेहनत लागथे। माटी ल एकदम ले सहि आकार म ढलना ह एकठन सुघ्घर कला आए। ए कला ल सिखेबर जबर धिरज के बुता आए। आज ए कला ह तको सल्लग नंदावत जात हे। सरकार ह तको ए परमपरा ल बचाय बर कोनो उदीम तको नई करत हे।
डूड़वा के उपयोगिता:-
डूड़वा के एकठन जबर उपयोगिता ए हे कि ए पात्र म रखे तेल म कीरा मकोरा, अउ चाँटी नई आ सकय।
डूड़वा म एकठन हाना तको बने हावय:- नंदावत जिनिस डूड़वा म एकठन छत्तीसगढ़ी हाना तको बने हावय, ए हाना कुछ ए प्रकार ले हे:- बिन पेंदि के डूड़वा, कभू एती ऊलंड़थे कभू ओती ऊलंड़थे।। ए हाना ह ओ मनखे मन बर अड़बड़ फिट बईठथे जेन ह कभू बेरा म दूसर डाहन त, कभू दूसर डाहन हो जाथे, मतलब ए मनखे ह ऐती ओती ओतेच रहिथे। ए हाना ह पार्टी बदलइया कार्यकर्ता मन बर तको फिट बईठथे। डूड़वा के पेंदि नई राहय तेकर सति ऐला भिन्या म नई मढ़ा सकन। एकरे सेती एला रस्सि म बांध के ऊपर स्थान म रखे जाथे।