• Wed. Apr 16th, 2025

Amrit Today

खबर हमारी, आपकी आवाज......

*ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हाल ही में रायपुर पहुंच…*

अमृत टुडे रायपुर : ज्योति षपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हाल ही में रायपुर पहुंच गए हैं, जहाँ उन्हें कई निजी कार्यों में शामिल होने का अवसर प्राप्त होगा। उनके इस दौरे का उद्देश्य विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना और महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करना है।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने नक्सलियों के प्रति एक महत्वपूर्ण अपील की है, जिसमें उन्होंने नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की विनम्र प्रार्थना की है। उन्होंने नक्सलवाद को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कई सालों से नक्सलियों ने जो गोलीबारी की है, उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला है। यह स्पष्ट है कि नक्सलियों का यह मार्ग पूरी तरह से विफल हो चुका है।

शंकराचार्य ने नक्सलियों से आग्रह किया है कि वे हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों। उन्होंने कहा कि जंगलों में हथियार लेकर घूमना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। इस संदर्भ में उन्होंने देश में बढ़ती वैमनस्यता के मुद्दे पर भी टिप्पणी की। उनका मत है कि वैमनस्यता केवल समाज में बढ़ती नहीं जा रही है, बल्कि इसे राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। देश के एक नागरिक को दूसरे नागरिक के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है, जिससे समाज में कटुता बढ़ रही है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि हिंदू होने का अर्थ किसी अन्य धर्म के खिलाफ खड़ा होना नहीं है।

यदि हम एकता और अखंडता को नुकसान पहुँचाते हैं, तो यह देश को टूटने के कगार पर पहुँचा देगा। इसके साथ ही, सनातन बोर्ड की मांग पर शंकराचार्य ने स्पष्ट किया कि वक्फ की तरह सनातन बोर्ड की स्थापना की बात स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि सनातन तो हमेशा से ही सनातन है। इस प्रकार उनकी बातें समाज में शांति, एकता, और समरसता के प्रति एक सकारात्मक संदेश देती हैं।

उसकी अपनी विचारधाराएँ और सिद्धांत हैं, जिनमें वह अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करते हैं। यहाँ पर यह भी विचार करने योग्य है कि सनातन धार्मिक परंपरा ने कब से नकल करने की प्रवृत्ति को अपनाया है, और इस संदर्भ में यह समझना महत्वपूर्ण है कि उन्होंने अपने अनुयायियों के लिए क्या विशेष कदम उठाए हैं।

इसके माध्यम से, उन्होंने अपने समुदाय में एक संगठित ढाँचा तैयार करने के लिए एक बोर्ड का निर्माण किया है, और यह जानने की आवश्यकता है कि वास्तव में उन्होंने ऐसा क्या किया है जो इसे उल्लेखनीय बनाता है। इस विषय पर चर्चा करते समय, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की बाइट महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उनके विचारों में गहराई और गहनता है, जो इस संदर्भ में सहायक हो सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Close