रायपुर, अमृत टुडे। राज्य का स्वास्थ्य विभाग वर्तमान में अत्यंत गंभीर स्थिति में कार्य कर रहा है, जो पूरी तरह से भगवान के भरोसे पर निर्भर प्रतीत हो रहा है। हाल ही में, सोलह हजार से अधिक NRHM (नेशनल रुरल हेल्थ मिशन) कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। यह स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि उपस्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को केवल टाइल्स की रोशनी में डिलीवरी कराई जा रही है, जो एक अत्यंत चिंताजनक विषय है।
इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्री के पास अपने विभागों की समस्याओं का समाधान करने का इतना समय नहीं है कि वे इस गंभीर संकट का सामना कर सकें। वर्तमान में मुख्यमंत्री विदेश यात्रा पर हैं, जिससे छत्तीसगढ़ में लगभग अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। ऐसी परिस्थितियों में, आवश्यक है कि राज्य सरकार जल्द से जल्द इस मुद्दे की गंभीरता को समझे और स्वास्थ्य सेवा के स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिंताजनक है कि वर्तमान समय में प्रदेश में नकली दवाइयां लगभग सभी सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा कॉलेजों में उपलब्ध हैं। सीजिएम एस सी द्वारा जो दवाइयां सप्लाई की गई हैं, वे गुणवत्ता की दृष्टि से पात्रता के मानदंडों पर खरी नहीं उतरतीं। प्रदेश के अनेक स्थलों पर, विभिन्न स्थानों पर, इस तथ्य की प्रमाणिकता पहले ही सिद्ध हो चुकी है कि ये दवाइयां वास्तव में गुणवता विहीन हैं।
इसके बावजूद, सरकार की ओर से इस गंभीर मुद्दे पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। परिणामस्वरूप, इन नकली दवाओं के कारण महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होने के बजाय, वे और अधिक बिगड़ती जा रही हैं, जिससे उनका जीवन और भी कठिन होता जा रहा है।
अद्वितीय रूप से, स्वास्थ्य मंत्री की प्राथमिकता इस महत्वपूर्ण संकट की ओर नहीं है। बजाय इसके, उन्होंने नकली दवाओं की गुणवत्ता को सुधारने या इन दवाओं के सप्लायरों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय, शराब की दुकानों पर जाकर शराब की गुणवत्ता की जांच करने में समय बिता रहे हैं। यह स्थिति स्पष्ट रूप से छत्तीसगढ़ सरकार की वास्तविकता को उजागर करती है, जो न केवल आम जनता के स्वास्थ्य के प्रति एक गंभीर लापरवाही दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि सरकार का ध्यान प्राथमिक मुद्दों से भटक रहा है।

