• Thu. Nov 21st, 2024

Amrit Today

amrittoday.in

Spread the love

रायपुर , 05 अप्रेल 2024 | संत राजाराम साहब के 64वां वर्सी महोत्सव के दिवस का भव्य शुभारंभ संतो तथा भक्तों द्वारा सम्मिलित रूप से आशा दीवार के साथ प्रारंभ हुआ। विशेष आकर्षण वृंदावन से पधारे बालभक्त भागवत ने अपनी प्यारी बाल सुलभ वाणी में राधा कृष्ण के मंत्रों से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया तथा गीता पर अपना संक्षिप्त उद्बोधन दिया। उनको देखने के लिए और सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी । इस अवसर पर मध्यान्ह में अखिल भारतीय शदाणी सेवा मण्डल की बैठक आरंभ हुई।

जिसमें भारतवर्ष के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने अपने-अपने सेवा मण्डलों की सेवा कार्यों का वर्णन किया तथा भविष्य में वे किस प्रकार की सेवा कार्य और आगे बढ़ना चाहते हैं ,उस पर अपने विचार रखें, सभी सेवा मंडलों को संत डॉक्टर युधिष्ठिर लाल ने अपने आशीर्वचन में कहा, सेवा ही परम धर्म है, और हमारी शदाणी दरबार का यही मूल मंत्र भी है, कि मानव सेवा ही माधव सेवा है।

जैन जागरूक अभियान

सेवा कार्यों को सभी सेवा मंडलों को मानव मात्र के कल्याण हेतु बढ़ाना चाहिए तथा बच्चों को अध्यात्म से जोड़ने का प्रयास करें, जिससे उनमें अच्छे संस्कारों का सिंचन हो सके, उन्हें संत ने कहा कि हमें प्रसन्नता तभी होती है, जब हमारे शिष्य अच्छी सेवा भावना के साथ समाज की और देश की सेवा करते हैं, और हम चाहते हैं, कि सभी सेवा मंडल मेडिकल क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में तथा पर्यावरण के क्षेत्र में और मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति से संबंधित सेवा कार्यों को करके समाज तथा देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। ऐसा करने वाले शिष्य ही हमें विशेष प्रिय होते हैं, और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

This image has an empty alt attribute; its file name is image_editor_output_image-398065953-17121649396771733825700619413404.jpg
पब्लिक अवेयरनेस

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषाचार्य जीडी वशिष्ठ ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में बताया कि सतगुरु की प्रसन्नता से ग्रहों की प्रसन्नता होती है । अपने से बड़ों को अपने माता-पिता को प्रसन्न करने से चंद्रमा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। और यदि मंगल विपरीत हो तो, वह व्यक्ति अपना ही अनिष्ट करता है तथा सभी से कलह करता है, लेकिन यदि वह गुरु के आश्रम में या मंदिर में सेवा करता है, तो उसका मंगल मजबूत हो जाता है। इसी तरह गुरु को प्रसन्न करके यदि गुरु की इच्छा अनुसार नाम स्मरण किया जाता है, राधे कृष्ण की प्रसन्नता प्राप्त होती है, और बुध ग्रह प्रसन्न होता है, संतुष्ट होता है। इसी प्रकार शुक्र ग्रह व्यक्ति के शरीर के स्वास्थ्य को उत्तम रखता है। राहु, शनि और केतु ग्रह यदि प्रसन्न होते हैं तभी हम अच्छे सतगुरु के पास पहुंच पाते हैं, और उसके पश्चात् धीरे-धीरे गुरु की आज्ञा में रहने से हमारे सारे ग्रह अनुकूल हो जाते हैं। इस तरह गुरु को केंद्र में रखकर प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य ने अपना उद्बोधन संक्षिप्त में दिया। संध्या सत्र रात्रि 7:30 pm को स्टार्ट हुआ।

अपना मतदान व्यर्थ न जाने दे
जनहित में जारी

भजन कीर्तन के साथ प्रारंभ हुआ। वृंदावन के वर्तमान में प्रसिद्ध हुए, बालक भक्त भागवत , अजमेर से पधारे पूज्य स्वामी रामप्रकाश , पूज्य त्रिदंडी चिन्न श्रीमन्न नारायण रामानुज जियर स्वामी और प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य जीडी वशिष्ठ आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहे श्रद्धालुओं ने इस अवसर का भरपूर लाभ प्राप्त किया। भव्य कलश यात्रा (लगभग 351कलश) को पू पूज्य पूज्य  दंडी श्रीमन नारायण रामानुज जियर स्वामी ने संबोधित करके उसे संत के साथ प्रारंभ किया गया । विषेश रूप से संध्या सत्र शिक्षा, विज्ञान और धर्म – आध्यात्म को समर्पित था इस हेतु विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। सच्चिदानंद शुक्ला रवि शंकर शुक्ला विश्वविद्यालय, एम के वर्मा , सी एस वी टी यू टेक्निकल यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर रविप्रकाश टेकचंदानी, डायरेक्टर एन सी पी एस एल , डायरेक्टर NIT आदि प्रमुख शिक्षाविद् ने अपने बहुमूल्य विचार रखे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *