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एनमाही फिल्म प्रोडक्शन एवं निर्माता मोहित कुमार साहू की छत्तीसगढ़ी फिल्म…..

सस्पेंस, थ्रिल और काॅमेडी से भरपूर पारिवारिक, मनोरंजक फिल्म को देखकर दर्शकों ने कहा ए ददा रे

सत्य घटना पर आधारित है फिल्म ए ददा रे

फिल्म के सभी गाने हिट है, आनन्द मानिकपुरी और हेमा शुक्ला की जोड़ी ने किया कमाल

भूत-मशान की भ्रमात्मक कहानी का भांडा फोड़, अंधविश्वास पर गहरी चोट करता है फिल्म ए ददा रे…

छत्तीसगढ़ के दर्शकों की मिली प्रशंसा

रायपुर. 30 अगस्त 2024

अमृत टुडे। छत्तीसगढ़ के जाने-माने निर्माता मोहित कुमार साहू एन.माही फिल्म प्रोडक्शन एवं सहनिर्माता आनन्द मानिकपुरी की प्रशंसनीय छत्तीसगढ़ी फिल्म ए ददा रे प्रदेश के 49 स्क्रीन सहित नागपूर स्थित सिनेमाघर में एक साथ रीलिज की गई। पहले ही दिन सुधि दर्शकों ने फिल्म की प्रशंसा की। खासतौर से फिल्म की कहानी में भूत-मशान के भ्रम का भांडा फोड़ कर अंधविश्वास पर गहरी चोट करने वाली इस फिल्म को दर्शकों की खूब सराहना मिल रही है। राजधानी के श्याम टाॅकीज में फिल्म देखने आये दर्शकों की भीड़ में ज्यादातर युवा व महिलाओं की संख्या अधिक रही।

क्या है फिल्म की स्टोरी

ग्रामीण परिवेश में घटित होने वाले भूतहा कहानियों खास तौर से चटिया-मटिया व चुड़ैल की भ्रमात्मक मनगढ़त किस्सों पर आधारित सत्य घटना से प्रेरित है छत्तीसगढ़ी फिल्म ए ददा रे। फिल्म के निर्देशक, अभिनेता एवं लेखक आनन्द मानिकपुरी ने बताया कि फिल्म की कहानी उनकी नानी एवं पिताजी द्वारा बताएं किस्सों पर आधारित है। उन्होंने बताया कि बचपन में उनकी नानी और पिताजी ने बताया था कि किस तरह मटिया और रक्सा देखकर वे डर गए थे और उनके मुंह से निकला था- ए ददा रे…। जिसे आनन्द मानिकपुरी ने मनोरंजक तौर पर इसी नाम से फिल्म में बनाकर छालीवुड के दर्शकों के लिए पेश किया है।

क्या है फिल्म की खासियत

छतीसगढ़ी फिल्म ए ददा रे में सिनेमेटोग्राफी व सिच्युशनल सीन अच्छे हैं। लोकेशन चयन बेहतर है। टेक्निकली क्षेत्र में भी फिल्म बेहतर है। कैमरा एंगल पर और बेहतर किया जा सकता था परन्तु ओव्हर आल फिल्म में क्षेत्रीय परिपक्वता पर्याप्त है।

कलाकारों का काम कैसा है

फिल्म के हीरो आनन्द मानिकपुरी जो कि इस फिल्म के राॅईटर, निर्देशक और सहनिर्माता भी हैं अपने रोल में खरा साबित हुए है। वहीं फिल्म की हीरोईन हेमा शुक्ला हर सीन में अपनी खुबसूरती के साथ बेहतर अदाकारा साबित हुई है। अन्य कलाकारों ने भी फिल्म की कहानी के साथ न्याय किया है और सभी का अभिनय बेहतर है। कही-कही आनन्द मानिकपुरी द्वारा फिल्म को लेकर एक साथ कई जिम्मेदारियां लेने का बोझ महसूस होता है परन्तु कहानी के लयबद्ध होने से यह बोझिलपन पूर्ण मनोरंजन के रूप में तब्दील होकर बेहतर परिणाम की ओर बढ़ जाता है।

फिल्म का संगीत पक्ष शानदार है

फिल्म में गीत-संगीत अच्छे बन पड़ें है। फिल्म के गीत सभी मूड के दर्शकों के लिए अलग-अलग थीम के हैं। जैसे चाॅदी के गोला और समझ नई आये गोरी तोर… प्रेमगीत है, जबकि फिल्म के अंत में रखे गए शीर्षक गीत ए ददा रे में हास्य पूट रखा गया है। दूसरे अन्य गाने भी सुनने लायक हैं।

क्यों देखें यह फिल्म
यदि आप भूत-प्रेतों पर विष्वास करते हैं तो आपको यह फिल्म जरूर देखना चाहिए और यदि आप इसे अंधविष्वास मानते हैं तब भी आपको मनोरंजन के लिए यह फिल्म अवश्य देखना चाहिए। फिल्म में पूरी तरह फूल मनोरंजक और पारिवार के साथ बैठकर देखने योग्य कहानी है, जो आपको बिना किसी टेंशन के सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन देता है आपके दिमाग को कुछ समय के लिए तनावमुक्त करता है।

इतेश सोनी पत्रकार

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