रायपुर, 18 अक्टूबर 2024
अमृत टुडे / यूं तो दीपावली उमंगो और रोशनी का त्यौहार है लेकिन लिवर सीरहोशीश जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे तिल्दा निवासी 59 वर्षीय अनिल कुमार यादव के लिए आने वाली यह दीपावली एक नए जीवन की रोशनी की सौगात एडवांस में लेकर आई जब उनकी बेटी वंदना यादव राठी ने विगत 6 अक्टूबर को अपना पार्शियल लीवर उन्हें खुशी-खुशी डोनेट कर पिता के प्रति अपने आगत इतने को व्यक्त कर एक अनूठी और यादगार मिसाल पेश की किन्हीं वजह से पिछले वर्ष अनिल का लीवर खराब हो जाने के कारण उन्हें बार-बार पीलिया होने लगा था पेट में पानी भर जाता था यहां तक कि वह कई बार बेहोश तक हो जाते थे और उन्हें खून की उल्टियां भी होती थी इन सभी कॉम्प्लिकेशनों के कारण भी लगातार कमजोर होते चले गए जिसकी वजह से उन्हें बार-बार हॉस्पिटिलाइज्ड करना पड़ता था
श्री नारायण हॉस्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट एवं जी आई सर्जन डी. हितेश दुबे ने उनकी जांचोंपरात पाया कि अनिल की कंडीशन लिवर फेलियोर की स्थिति में आ गई है और उनकी जान बचाने का अब एक मंत्र उपचार उनकी लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी करना ही रहेगा इस क्लिनिकली भाषा में डी कंपन सेट लिवर सिरोसिस कहते हैं इस तरह के मरीजों को इंफेक्शन होने का और मेडिकल कंडीशन खराब होने का खतरा हमेशा बना रहता है इन्हीं सब बातों के मध्य नजर उनकी लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी विगत 6 अक्टूबर को श्री नारायण हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक संपन्न हुई दो OT में लगातार 12 घंटे चली इस मेजर सर्जरी में जहां एक ओट में दाता का लीवर निकाला जा रहा था तो इस समय दूसरे OT में मरीज के लीवर के खराब रिश्ते को निकाला जा रहा था यानी दोनों सर्जरी को एक साथ अंजाम दिया जा रहा था जिसमें हैदराबाद के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर सचिन और उनकी टीम पूरी टीम हॉस्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर हितेश दुबे लिवर ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉक्टर भाविक एनेस्थेटिक दवाई डॉक्टर क वटी एवं डॉक्टर निशांत त्रिवेदी और हैदराबाद की एनेस्थेटिक टीम के डॉक्टर रवि चंद्र की डॉक्टर राघवेंद्र रेड्डी डॉक्टर प्रवीण एवं डॉ मनोज और वहां की पूरी लिवर ट्रांसप्लांट टीम ने मिलकर हमारे प्रांत छत्तीसगढ़ में उसे दिन एक नया ही इतिहास लिख दिया ,डॉक्टर हितेश ने बताया कि वर्तमान में लिवर ट्रांसप्लांट करने की दो ही प्रमुख तकनीके हैं जिनमें से एक है डीडीडी एल टी यानी डिजीज दाता लिवर ट्रांसप्लांट जिसमें किसी ब्रेन डेड व्यक्ति का पूरा का पूरा ही लवर निकाल कर वांछित व्यक्ति में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है और दूसरी तकनीक है एलडीएलटी यानी लिविंग दाता लिवर ट्रांसप्लांट इसमें ऐसे दाता की जरूरत पड़ती है जो मरीज का रिलेटिव हो यंग हो और सबसे बड़ी और हम बात जो खुद से लिवर डोनेट करने का इच्छुक भी हो वह परिवार में से ही कोई भी हो सकता है जैसे भाई-बहन पति-पत्नी माता-पिता बस उसे पूर्णतया स्वस्थ होना चाहिए
अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉक्टर भाविक शाह ने बताया कि आजकल लीवर की बीमारियां सामान्यतया बहुत ही ज्यादा होने लगी है स्पेसिफिकली क्रॉनिकल लीवर डिजीज जिसका मोस्ट कॉमन कॉज ज्यादा एल्कोहल कंजप्शन है इस पहले अल्कोहल जनित बीमारियों में हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी एकदम कॉमनली हुआ करते थे लेकिन अब उनको फिलहाल फैटी लीवर और लीवर संबंधी मेटा बलिक बीमारियों ने रिप्लेस कर दिया है लीवर की कोई भी बीमारी जब शुरू होती है तो उसमें प्रारंभ में केवल फैटी लिवर होना ही पाया जाता है जो आगे चलकर फाइब्रोसिस और फिर उसके बाद लिवर सिरोसिस में तब्दील हो जाता है फैटी लीवर और फाइब्रोसिस को तो दवाइयां परहेज तथा एक्सरसाइज आदि से रिवर्स किया जा सकता है लेकिन लिवर सिरोसिस को रिवर्स करना अत्यंत ही मुश्किल काम होता है लिवर सिरोसिस होने के कारण ही खून की उल्टी पीलिया पेट में पानी भरना ब्रेन में इफेक्ट और लीवर कैंसर हो सकता है ऐसी स्थिति बन जाने के बाद दवाइयां से इन बीमारियों को कुछ सिर्फ कुछ समय तक के लिए ही रोका जा सकता है लेकिन अंत तो गत्वा केवल लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी करना ही इस बीमारी का एकमात्र परमानेंट इलाज है अपोलो मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल कोलकाता में 6 साल काम करने के बाद श्री नारायण हॉस्पिटल में विगत 4 वर्षों में हमने यहां तक एक स्टेट ऑफ आर्ट गैस्ट्रो एडवांस्ड एंडोस्कोपिक और हैपेटॉलजी हैपेटॉलजी हैपेटोलॉजी सेंटर इस्टैबलिश्ड किया है जिसमें लीवर की मामूली सी मामूली बीमारियों से लेकर एडवांस्ड लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी जैसी आई आधुनिक सुविधाएं एक ही छत के नीचे इस अस्पताल में उपलब्ध है
श्री नारायण हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर सुनील खेमका ने इस अवसर पर बताया कि लीवर की बीमारी अब वर्तमान में एक बहुत ही आम सी बीमारी बन गई है लीवर की विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे हेपेटाइटिस बी हेपेटाइटिस सी बीमारी बन गई है लिवर सिरोसिस एवं लिवर कैंसर के पेशेंट वर्तमान में लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं जिसकी मुख्य वजह खाने-पीने की चीजों में मिलावट होना फास्ट फूड या बेवरेज में आर्टिफिशियल रंग प्रिजर्वेटिव्स या स्वाद बढ़ाने वाले विभिन्न ना हानिकारक केमिकल आदि का ज्यादा उपयोग होना है जो की लिवर कैंसर होने का प्रमुख कारक है इन सभी वजहों से भविष्य में लिवर ट्रांसप्लांट जैसी जटिल सर्जरी करने की आवश्यकता कुछ ज्यादा ही होने की संभावना है इस समय मध्य भारत में छत्तीसगढ़ एक प्रमुख मेडिकल हब के रूप में उभर रहा है यहां पर किडनी ट्रांसप्लांट और लिवर ट्रांसप्लांट आदि तो कॉमनली हो ही रहे हैं परंतु भविष्य में यहां पर कैडबरी लिंब ट्रांसफर प्लांट हाथ पैर एवं अन्य ऑर्गन्स का ट्रांसप्लांट तथा हार्ट ट्रांसप्लांट भी अति शीघ्र ही प्रारंभ होगा केंद्र शासन यदि रायपुर को इंटरनेशनल हवाई सेवाओं से डायरेक्ट जोड़ देता है तो हमारा छत्तीसगढ़ मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में निश्चित रूप से अपना स्थान बनाने में कामयाब होगा क्योंकि यहां रायपुर में मेडिकल एक्सपेंस मेट्रो शहरों के कंपैरिजन में आधे से भी कम है