Amrit today Raipur : पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने पत्रकारों के साथ हुई एक चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण मामलों पर अपनी प्रतिक्रिया जताई है। इस संवाद के दौरान, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर पलटवार करते हुए दुर्ग मामले के संदर्भ में कांग्रेस द्वारा निकाले गए न्याय यात्रा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह न केवल बेहद चिंताजनक है, बल्कि इसकी निंदा भी की जानी चाहिए, क्योंकि इस दुर्घटना का सामना एक मासूम, केवल 6 वर्षीय लड़की को करना पड़ा, जिसके साथ घोर अत्याचार और अन्याय हुआ है। इस प्रकार की घटनाओं के प्रति सरकार की लापरवाही स्पष्ट है, क्योंकि वे इस गंभीर मुद्दे पर हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं।
इस अत्याचार के प्रतिरोध में, हमारे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज ने दुर्ग से रायपुर तक एक पदयात्रा न्याय यात्रा आयोजित की है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य उन परिवारों को न्याय दिलाना है जो इस प्रकरण से प्रभावित हुए हैं। दुर्भाग्यवश, वर्तमान में सत्ता में बैठे उपमुख्यमंत्री ऐसे बेतुके बयान दे रहे हैं, जो दर्शाते हैं कि उन्हें इन मुद्दों की गंभीरता का पूरी तरह से आभास नहीं है। विपक्ष की जिम्मेदारी यह होती है कि जब सरकार के द्वारा कार्रवाई के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं, तब उन्हें जगाने का कार्य करें और यह सुनिश्चित करें कि लोगों को न्याय मिले। यह अत्यंत आवश्यक है कि विपक्ष अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाए, विशेषकर तब जब सरकार अपनी भूमिका को ठीक से नहीं निभा पा रही है।
इसके साथ ही, उन्होंने कुछ विधायकों के संबंध में जो कि वर्तमान में विभिन्न कारणों से अटके हुए हैं और उनके मामलों की लंबित स्थिति को लेकर चिंता प्रकट की। उन्होंने कहा कि राज्य के सर्वोच्च सत्ता में देखने को मिल रहा सत्ताइसनाथ, अर्थात राज्यपाल महोदय, के पास जो संविधान में निर्धारित अधिकार हैं, वे न केवल उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करते हैं, बल्कि उनकी जिम्मेदारी भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं। आज की स्थिति यह है कि जब तक राज्यपाल अपनी निर्धारित जिम्मेदारियों को न निभा सकें, तब तक वे विभिन्न राजनीतिक दबावों के चलते महत्वपूर्ण निर्णय लेने में असमर्थ हैं।
इसके साथ ही, जलस्तर में कमी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरा छत्तीसगढ़ प्रदेश जल संकट के गंभीर दौर से गुजर रहा है। ऐसा कोई क्षेत्र, ऐसा कोई जिला या ऐसा कोई गांव नहीं है जहाँ पर residents को पीने के पानी की समस्या का सामना न करना पड़ रहा हो। इस गंभीर स्थिति के बावजूद, सरकार के पास इस मसले पर ध्यान केंद्रित करने का समय नहीं है, और वे केवल राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त हैं। जल जीवन मिशन के कार्य भी इस लापरवाही के कारण प्रभावित हो रहे हैं और पानी के स्रोतों की भारी अनियमितता देखी जा रही है।
उन्होंने सरकार की इस लापरवाह रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि जल जैसी गंभीर समस्या को लेकर सरकार को अधिक गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस मामले में बिलकुल भी संजीदा नहीं है। वहीं, नक्सलियों के खात्मे पर उन्होंने कहा कि नक्सली वर्तमान में पीछे हटते हुए दिखाई दे रहे हैं, और ग्रामीण लोग अपने गाँवों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की खोज में दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे हैं।
अभी वापस की जानकारी नहीं मिली है। वर्तमान में जो सफलता सरकार को प्राप्त हुई है, मैं उसे एक प्रकार की प्रारंभिक सफलता मानता हूं। हालांकि, इस स्थिति में बहुत अधिक खुश होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि समस्या की जड़ में पहुंचने में सरकार असमर्थ है। यह दावा किया जा रहा है कि 26 तारीख तक नक्सली गतिविधियों का पूरी तरह से सफाया किया जाएगा, लेकिन वास्तविकता यह है कि जो जड़ें नक्सलवाद की समस्या से संबंधित हैं, वहां अभी तक सरकार का पहुंच बनाना संभव नहीं हुआ है। इस संदर्भ में, पूर्व पीसीसी अध्यक्ष कांग्रेस, धनेंद्र साहू, ने अपनीव्यक्त की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी प्रयासों को और अधिक गहनता से करने की आवश्यकता है ताकि नक्सलवाद की समस्या को प्रभावी ढंग से समाप्त किया जा सके।