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रायपुर,11 सितम्बर 2025

अमृत टुडे। पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में, जिस तरीके से प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में योग की दृष्टि से एक सकारात्मक और विकासशील वातावरण का निर्माण किया जा रहा है, वह अत्यंत सराहनीय है।

इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों के तहत, बस्तर क्षेत्र का विकास और इसके नवाचार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

बस्तर समिट के आयोजन के साथ ही, यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि बस्तर क्षेत्र अब नक्सल मुक्त होने की दिशा में लगातार संतोषजनक प्रगति कर रहा है।

हालिया योजनाओं और नीतियों के अंतर्गत, 31 मार्च 2026 तक पूरा बस्तर नक्सल मुक्त होने की ओर अग्रसर है, जो निश्चित रूप से क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

इस संदर्भ में,
हमारे बस्तर में अपार संभावनाएं और अवसर हैं, जो विकास और समृद्धि की दिशा में हमारे कदमों को मजबूत बनाएंगे।

इसी क्रम में,
आज विशेष रूप से कैंसर हॉस्पिटल के अनुबंध का होना हमारे बस्तर वासियों के लिए एक बहुत बड़ी सौगात है, जिसे हमारे मुख्यमंत्री ने अपने नेतृत्व में प्रस्तुत किया है।

यह चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे ध्यान में रखते हुए, आज अनेक विषयों पर चर्चा भी की गई, जिसमें अन्य स्वास्थ्य संबंधी पहल और सामाजिक कल्याण से जुड़े मुद्दे भी शामिल थे।

इस प्रकार,
यह आयोजन न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करेगा बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच जागरूकता और सहयोग को भी बढ़ावा देगा।

अभी कांग्रेस पार्टी के भीतर एक तरह की उथल-पुथल की स्थिति व्याप्त है, जिसमें पार्टी के विभिन्न नेताओं और सदस्यों के बीच आपसी विरोधाभास और गुटबाज़ी स्पष्ट रूप से देखी जा रही है।

इस स्थिति के कारण,
पार्टी के सदस्य लगातार एक दूसरे की टांग खींचते हुए नजर आ रहे हैं, जो न केवल संवाद की कमी को दर्शाता है, बल्कि संगठनात्मक एकता को भी कमजोर करता है।

इस असामान्य परिप्रेक्ष्य में यह विचारणीय है कि आगे चलकर कितने नेता और सदस्य इस स्थिति से जीवित रह पाएंगे, और उन बचे हुए सदस्यों के आधार पर क्या कांग्रेस संगठन के विस्तार और मजबूती के लिए कदम उठा सकेगी।

हाल ही में एक घटना ने इस संकट को और भी बढ़ा दिया है, जिसमें पूर्व मंत्री का सार्वजनिक अपमान किया गया था।

यह अपमान सभी ने अपनी आँखों से देखा, और इसने न केवल उस व्यक्ति की व्यक्तिगत गरिमा को आहत किया, बल्कि पार्टी की छवि पर भी नकारात्मक असर डाला है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि राजनैतिक प्रतिस्पर्धा और आपसी संघर्ष के बीच, एक संगठित और मजबुत पार्टी बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

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