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राजस्थान की आड़ में अडानीको कोयला देने का काम होगा इसके लिए हसदेवके जंगल और आदिवासियों को ना उजाड़े छत्तीसगढ़ सरकार…..

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रायपुर, 19 जुलाई 2024

अमृत टुडे ।हसदेव के जंगल और राजस्थान की कोयला आवश्यकता पर लंबे समय से बहस हो रही है पिछली राज्य सरकार ने हसदेव की एक हिस्से को तो लेमरू एलिफेंट रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया परंतु काफी बड़ा हिस्सा जिस पर खनन का सर्वाधिक खतरा है रिजर्व के बाहर छोड़ दिया आज इनमें से परसा कॉल ब्लॉक और कहते एक्सटेंशन कॉल ब्लॉक पर जंगल खनन की तलवार लटकी है केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण भारत सरकार की संस्था है जो विभिन्न पावर प्लांट की यूनिट साइज के अनुसार कोयले की खपत निर्धारण के मापदंड तय पर है उसके 8 मार्च 2024 को दिसंबर में जारी आदेश क्रमांक FU/ 5/2019 -IPC(part 1) दिनांक 8 दिन 2024 के अनुसार राजस्थान की कुल अधिकतम वार्षिक आवश्यकता गणना करने पर राजस्थान की कुल वार्षिक आवश्यकता 20 – 21 मिलियन तन आती है

यही चालू कोयला खदान पी के भी की उत्पादन क्षमता दी है अर्थात किसी और खदान आवश्यक तथा राजस्थान को नहीं है

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड जयपुर के परसा कोल माइंस का साइट निरीक्षण किया गया और आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण उत्तर पत्र के संदर्भ में किया गया राजस्थान लग्न है परसा कोल माइंस सरगुजा जिले के लॉक उदयपुर के ग्राम परसा के पास स्थित है उसका विस्तार प्रस्तावित है माइंस क्षेत्र में साल ही नल का प्रवाह हो रहा है जिसका संग्रह क्षेत्र लगभग 10.4 वर्ग किलोमीटर है जिसे माइंस प्रबंधन द्वारा अक्षांश 20 डिग्री 50’03” तथा देशांतर डिग्री 45 ‘ 03″ पर स्वयं टूट गया ऐसे नहर के माध्यम से या प्रवर्तन कर अपनी अटेंप्ट नदी में प्रवाह किया जाएगा

उपरोक्त नल का डिस्चार्ज डिकेंस फॉर्मूला द्वारा 111.37 घन मीटर प्रति सेकंड फ्लड द्वारा 22.24 घन मीटर प्रति सेकंड एवं मीनिंग फार्मूला फ्लड और रिजर्वेशन द्वारा 235.2 घन मीटर प्रति सेकंड की गणना की गई यह बता अधिकतम 2305.91 मीटर प्रति सेकंड के हिसाब से चला होता हैं

अतः नहर का बेड की चौड़ाई 30 मीटर एवं साइड स्लोप 1.5 अनुपात एक अनुपात में गणना करने से 24 2.99 घन मीटर प्रति सेकंड पानी प्रवाहित हो सकेगा जो की सुरक्षित है मौजूदा तथा प्रस्तावित खनन अभियान मानसून अवधि के दौरान अनुमानित चार से पांच मिलियन व्यूज डिटेल मीटर प्रति वर्ष किधर से हसदेव नदी के तहत प्रवाह में कमी होगी जिसकी पूर्ति माइंस क्षेत्र के बाहर साल ही नाला एवं एटम नदी पर तीन नाग निकट निर्माण कर किया जा सकता है संरचनाओं के निर्माण से जल संवर्धन एवं जल संरक्षण किया जा सकता है जिससे संबंधित क्षेत्र के जल स्तर में वृद्धि तथा कृषकों को सिंचाई सुविधा का अतिरिक्त तालाब प्राप्त हो सकेगा

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