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रायपुर, 29 जुलाई 2024

अमृत टुडे । जीवन में करे बुराईयों को त्यागने का व्रत – बीके मनु दीदी । श्रावण मास के पावन अवसर पर बिलासपुर ब्रह्माकुमारीज की मुख्य शाखा राजयोग भवन सेवाकेंद्र की सीपत शाखा द्वारा सीपत स्थित शिव मंदिर में ब्रह्मकुमारी बहनों द्वारा लगाई गई शिव की आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी जिसमें ब्रह्मकुमारी मनु बहन ने श्रावण मास का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए कहा कि श्रावण मास में शिवभक्त हर सोमवार को मंदिर जाते हैं सोम अर्थात अमृत परमात्मा ज्ञान का अमृत हमे स्वयं की पहचान देते है।

परमात्मा शिव जिनका रूप ज्योति बिंदु है। परमात्मा शिव के अनेक नाम उनके कर्तव्यों अनुसार कहा जाता है। आज के दिन व्रत उपवास करते हैं उपवास अर्थात ऊपर में वास करने वाले परमपिता परमात्मा शिव जिसके साथ हमारी बुद्धि निरंतर जुड़ी रहे। हर कर्म करते हुए बुद्धि में परमात्मा पिता शिव की याद रहे। स्थूल व्रत उपवास के साथ-साथ हमें क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, परचिंतन जैसी बुराइयां का भी व्रत करना चाहिए। कहा जाता है अन्न छोड़ना आसान है परंतु अवगुण छोड़ना आसान नहीं होता।

परमात्मा शिवपिता के ऊपर अवगुण रूपी विष को चढ़ाना चाहिए। जिससे हमें अपने जीवन में सफलता, शांति,शक्ति एवं परमात्मा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिव के लिंग पर दूध का अभिषेक किया जाता है अर्थात दूध में जैसे सफेदी, स्वच्छता, और निर्मलता हमारे जीवन में हो। जलधारी से निरंतर पानी से अभिषेक हमें स्मृति दिलाता है कि हम आत्मा है और आत्मा के सात गुण ज्ञान, शांति, पवित्रता, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति जो आत्मा के वास्तविक गुण व स्वरूप है।

इसकी स्मृति सदा हमारी बुद्धि में रहे तो हमारे कर्म श्रेष्ठ और कौशल कर्म बन जाता है। जिस प्रकार पूरे वर्ष में श्रावण मास का महत्व होता है उसी प्रकार पूरे सृष्टि चक्र में चार युगों में एक छोटा सा युग संगमयुग का है जबकि परमात्मा इस संगम के समय पर ज्ञान के आधार पर वरदानों से हमारी झोली भर देते हैं। सुबह से मंदिर प्रांगण में आने वाली शिव भक्तों ने इस आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी का लाभ लिया।

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