22 सितम्बर 2024
अमृत टुडे । परिचय: Google LLC और Google India Private Limited (‘Google’) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के 20 अक्टूबर 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (NCLAT) में अपील दायर की थी। CCI ने पाया था कि Google ने Android मोबाइल इकोसिस्टम और संबंधित बाजारों में अपनी प्रभुत्व की स्थिति का दुरुपयोग किया है, जो 2002 के प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 के कई प्रावधानों का उल्लंघन है। इस मामले में, CCI ने Google पर ₹1337.76 करोड़ का जुर्माना भी लगाया और उसे अपनी प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं को बंद करने का आदेश दिया।जब Google ने अंतरिम राहत की मांग की, NCLAT ने उसे ₹936 करोड़ के जुर्माने की 10% राशि जमा करने का आदेश दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। बाद में, NCLAT ने CCI के जुर्माने को सही ठहराया, हालांकि कुछ महत्वपूर्ण निर्देशों को रद्द कर दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि:
28 अगस्त 2018 को उमर जावेद, सुकर्मा थापर और आकिब जावेद ने 2002 के प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 19(1)(a) के तहत CCI में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया कि Google भारत के Android आधारित स्मार्टफोन बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है और प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों में लिप्त है।जांच के बाद, CCI ने पाया कि Google ने धारा 4(2) के कई प्रावधानों का उल्लंघन किया है और उस पर ₹1337.76 करोड़ का जुर्माना लगाया। Google को आदेश दिया गया कि वह 60 दिनों के भीतर जुर्माने की राशि का भुगतान करे।
मुख्य प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाएँ:
CCI ने कई प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं को पहचाना जो Google की प्रभुत्व के दुरुपयोग को दर्शाती हैं:
1 ) Google Mobile Suite (GMS) का अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन: डिवाइस निर्माताओं को Google के पूरे ऐप सूट, जिसमें YouTube भी शामिल है, को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य था, जिससे वैकल्पिक ऐप्स की पेशकश सीमित हो गई और प्रतिस्पर्धा का उल्लंघन हुआ।
2 ) बाजार पहुँच से वंचित करना: Google ने Android OS के ऐप स्टोर बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का उपयोग करते हुए ऑनलाइन सर्च और वीडियो होस्टिंग सेवाओं (जैसे YouTube) में अपनी स्थिति को सुरक्षित रखा, जिससे अन्य प्रतिस्पर्धी ऐप्स को बाज़ार में पहुँचने से रोका गया।
3 ) अनन्य उपयोग के लिए प्रोत्साहन देना: Google ने निर्माताओं को अपने सर्च इंजन और अन्य सेवाओं का विशेष रूप से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहन दिया, जिससे प्रतिस्पर्धा और भी सीमित हो गई।
4 ) टाईइंग एग्रीमेंट्स: Google ने Play Store के लाइसेंस को अपने ऐप्स (जैसे YouTube) के साथ जोड़ने का प्रयास किया, जिससे प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ताओं की पसंद सीमित हो गई।
अपील में उठाए गए मुद्दे:
अपील में, Google ने कई प्रमुख कानूनी प्रश्न उठाए:
1 ) क्या धारा 4 के तहत प्रभुत्व के दुरुपयोग को साबित करने के लिए “प्रभाव विश्लेषण” आवश्यक है? यदि हां, तो इसका परीक्षण क्या होना चाहिए?
2 ) क्या GMS का पूरा प्री-इंस्टॉलेशन डिवाइस निर्माताओं पर अनुचित शर्तों को लागू करता है और धारा 4(2)(a)(i) और 4(2)(d) का उल्लंघन करता है?
3 ) क्या Google ने ऑनलाइन सर्च मार्केट में अपनी प्रमुख स्थिति का उपयोग करके प्रतिस्पर्धी सर्च ऐप्स को बाज़ार से बाहर रखा है, जो धारा 4(2)(c) का उल्लंघन है?
4 ) क्या निदेशक द्वारा की गई जांच प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन करती है?
5 ) क्या CCI द्वारा लगाया गया जुर्माना अनुपातहीन और अत्यधिक है?
Google की दलील:
Google ने तर्क दिया कि CCI का आदेश “पुष्टिकरण पूर्वाग्रह” से ग्रस्त है और यह 2018 में यूरोपीय आयोग के आदेश के समान था। Google ने दावा किया कि उसके समझौते डिवाइस निर्माताओं को प्रतिस्पर्धी ऐप्स प्री-इंस्टॉल करने से नहीं रोकते और उसकी लोकप्रियता उपभोक्ताओं की पसंद के कारण है, न कि बाजार के दुरुपयोग से।
CCI की दलील:
दूसरी ओर, CCI ने तर्क दिया कि Google की नीतियों ने प्रतिस्पर्धा को सीमित किया है और “डिजिटल सामंतवाद” और “तकनीकी कैद” जैसी स्थिति उत्पन्न की है। CCI ने यह भी कहा कि Google की नीतियाँ भारत में Android ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार में अन्य ऐप्स के प्रवेश को बाधित करती हैं।
NCLAT का निर्णय:
NCLAT ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद और सबूतों की समीक्षा के बाद निम्नलिखित निर्णय दिए:
1 ) NCLAT ने CCI के इस निष्कर्ष को बरकरार रखा कि Google ने अपनी प्रभुत्व की स्थिति का दुरुपयोग किया है और इसके लिए उचित विश्लेषण की आवश्यकता थी।
2 ) GMS के अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन को अनुचित शर्त के रूप में माना गया, जिससे धारा 4(2)(a)(i) और 4(2)(d) का उल्लंघन हुआ।
3 ) Google ने Play Store के लाइसेंस को अन्य ऐप्स (जैसे YouTube) के साथ जोड़ने के लिए अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया, जिससे प्रतिस्पर्धा सीमित हो गई।
4 ) NCLAT ने CCI द्वारा दिए गए अन्य निर्देशों को बरकरार रखा, लेकिन कुछ विशेष निर्देशों को हटा दिया।निष्कर्ष:यह मामला भारत में प्रतिस्पर्धा कानून के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस निर्णय से यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि बड़ी टेक कंपनियों को प्रतिस्पर्धा के मानकों का पालन करना होगा, विशेष रूप से ऑनलाइन वीडियो होस्टिंग और मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे क्षेत्रों में। Google के द्वारा YouTube और Play Store को जोड़ने जैसी प्रथाओं ने प्रतिस्पर्धा को सीमित किया और उपभोक्ताओं की पसंद को बाधित किया।
यह निर्णय न केवल टेक इंडस्ट्री को प्रभावित करता है, बल्कि यह अन्य प्रमुख कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी है जो समान प्रथाओं में शामिल हो सकती हैं। उपभोक्ताओं के लिए यह निर्णय अधिक विकल्प और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।