रायपुर, 01 जून 2024 / लोकमाता अहिल्याबाई होलकर कि 300 वीं जयंती के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, नारीशक्ति कार्य विभाग एवं सखी फाउंडेशन द्वारा कल हरित संवाद एवं पर्यावरण संरक्षण वीरांगना सम्मान समारोह कार्यक्रम का आयोजन मेट्स विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि कौशल्या साय धर्मपत्नी विष्णु देव साय , मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, अध्यक्षता डॉ. अरुणा पल्टा कुलपति-हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग, मुख्य वक्ता डॉ. गौरी जोशी प्रमुख नारीशक्ति कार्य विभाग पर्यावरण संरक्षण गतिविधि एवं विशेष अतिथि प्रियंका पगारिया सीईओ, मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर, प्रियंका पांडेय ( भा.व.से.) वन मंडल अधिकारी, जाँजगीर- चाँपा, आदित्य जुदेव , राजपरिवार एवं डॉ नीता बाजपेयी राज्य एनएसएस अधिकारी, उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन रहें।
कार्यक्रम की शुरुवात शिव स्तुति कथक नृत्य के माध्यम से हुआ जिसकी प्रस्तुति डीबी कन्या महाविद्यालय के छात्रों के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा राज्य भर से आए महिलाओं को संबोधित किया जिसमें डॉ नीता बाजपेयी ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण प्रतिकूलन के लिए हम कितने जिम्मेदार हैं, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के हमारी क्या भूमिका रही है इसपर विचार करके हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए संयुक्त रूप से आगे आना होगा। छोटी छोटी चीजें जिससे हम जाने अनजाने में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहें हैं। बाजार से कुछ समान खरीदनें के लिए पॉलीथिन के जगह हमे कपड़े के थैले का प्रयोग करना चाहिए।
वहीं प्रियंका पांडेय ( भा.व.से.) ने कहा कि हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करना चाहिए । जल वायु मृदा आदि के संरक्षण का जिम्मा हमारा है इसका निर्वहन हमें ही करना पड़ेगा। खुद से शुरुवात करना होगा। उद्बोधन की कड़ी में प्रियंका पगारिया अपने विश्वविद्यालय में इस तरह के कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आज से हम भी संकल्प लेते है की पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक होते हुए कार्य करेंगे । ऐसे कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचें।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ गौरी जोशी ने अपने वक्तव्य में पर्यावरण संरक्षण हेतु आवाहन किया साथ ही उन्होंने कहा कि हम अपने दैनिक दिनचर्या में हर छोटी छोटी कार्यों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, आज हम अगर अपने कपड़ों को स्तरी करके पहनते हैं तो उससे बहुत सारे कार्बन निकल रहे जो कई वर्षों तक पर्यावरण में घूमते रहेंगे और नुकसान पहुंचाएंगे । आज महिलाएं जो कॉस्मेटिक का प्रयोग कर रहे उससे भी स्वयं के साथ साथ पर्यावरण को भी नुकसान है। एक किलोग्राम फेब्रिक बनने के लिए हजारों लीटर पानी बर्बाद किया जाता है। इन सब में नियंत्रण करने की आवश्यकता है। अगर हम शान से कहते हैं की देश हमारा है तो देश के विकास में समस्त दायित्व भी हमारे हैं। केवल पौधे लगाने से पर्यावरण संरक्षण नहीं होगा। पर्यावरण संरक्षण की हर गतिविधि में शामिल होना हम सब की जिम्मेदारी है। पर्यावरण संरक्षण के लिए पहला कदम स्वयं के ऊपर होगा सबसे पहले खुद को इसके लिए तैयार करना होगा फिर अपने घर फिर समाज फिर देश को जागरूक करना होगा।
कार्यकम के अध्यक्षता कर रहे डॉ अरुणा पल्टा ने अपने उद्बोधन में अपनी दैनिक दिनचर्या को साझा करते हुए बताया कि किस तरह से छोटी छोटी चीजों से पर्यावरण संरक्षण का कार्य किया जा सकता है। बेवजह अपने घर ने पानी न बहाएं व बिजली की जितनी आवश्यकता हो उतना ही प्रयोग करें। कपड़े बिना स्तरी करे पहनने का ट्रेंड लाना होगा। साथ ही ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से महिलाओं को पर्यावरण के प्रति कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कौशल्या साय धर्मपत्नी विष्णु देव साय ने कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि नारी वीरांगना होती है वह चुनौतियों से भयभीत न होकर आगे बढ़ें और पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करें जिससे हमारी आगे की पीढ़ी को हम को देकर जाएं । आज राज्य और देश के साथ साथ समूचा विश्व में पानी की समस्या आ रही है। वर्तमान में भीषण गर्मी के चलते पशु पक्षी के साथ साथ मानव जाती भी परेशान हो रहें हैं।
पर्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सब की है और इसे हमें निभाना होगा।
साय जी ने अपने जीवन के सफर को साझा करते हुए ईश्वर को धन्यवाद किया की उन्होंने हमें मानव जीवन दिया और पुनीत कार्य करने के लिए बुद्धि। अंत में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए शपथ भी दिलवाया और कहा कि केवल यह समझ कर शपथ नहीं लेना है की कुछ दिन इसका पालन करें फिर भूल जाएं बल्कि इसी अपने पूरे जीवन में चरितार्थ करना है और दूसरों को भी जागरूक करना है।
उक्त कार्यक्रम में पर्यावरण पूरक आदतों, पर्यावरण प्रहरियों के विचार विर्मश, प्रांत में पर्यावरण के क्षेत्र में उत्प्रेरक व उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं द्वारा अपना अनुभव साझा किया गया साथ ही उन्हें उपस्थित माननीय अतिथियों के करकमलों से पर्यावरण संरक्षण वीरांगना सम्मान से प्रमाण पत्र, अंगवस्त्र एवं पौधे प्रदान करके सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम के आयोजक नीलम सिंह, अध्यक्ष सखी फाउंडेशन एवं प्रांत सहप्रमुख नारीशक्ति कार्यविभाग पर्यावरण संरक्षण गतिविधि छत्तीसगढ़ व सुनीता चंसोरिया रायपुर महानगर संयोजक के सफल मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। साथ ही संपूर्ण कार्यक्रम का मंच संचालन रीता गिरी द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम में शिक्षा जगत के साथ साथ समाज सेवी संस्थाओं के विद्वत जन की उपस्थिति रही।
जिन्हें पर्यावरण संरक्षण वीरांगना सम्मान से सम्मानित किया गया – विदुषी दीवान, सरिता पैकरा, सुनीता साहू,राशि तिवारी, पूणिमा जोशी, डॉ मालती तिवारी, नेहा वर्मा, पुष्पलता त्रिपाठी, प्रियंका सिंह, शालिनी जोशी, प्रियंका कौशल, दुर्गा देवॉगन, आशा सिंह, नैना श्रीवास्तव, नीता गिरि, प्रीति दास मिश्रा, अमृता श्रीवास्तव, नीलिमा यादव, अनुराधा खरे, ईशा भगोरिया एवं पर्यावरण संरक्षण कार्य कर रहे राजेश गोयल, मोहन , संजय यादव को सम्मानित किया गया।