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कम भुगतान और शोषण का आरोप — राइडरों ने कंपनी मैनेजरों पर की कार्रवाई की मांग

रायपुर , 13 नवंबर 2025

अमृत टुडे। रायपुर में BLINKIT कंपनी के डिलीवरी राइडरों ने काम के घंटे बढ़ाने और भत्ते में कटौती को लेकर कलेक्टर से शिकायत की है।

राइडरों का कहना है कि कंपनी के मैनेजर मनमाने तरीके से 16 से 17 घंटे तक काम करवाते हैं, लेकिन इसके बदले उन्हें पहले से कहीं कम भुगतान किया जा रहा है।

आवेदकों का आरोप है कि पहले उन्हें ₹15 प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जाता था, जिसे अब घटाकर ₹7 प्रति किलोमीटर कर दिया गया है।

राइडरों ने बताया कि डिलीवरी के दौरान एक्सीडेंट या ग्राहक से विवाद होने पर पूरा जुर्माना उन पर ही लगाया जाता है, और कई बार उनकी आईडी होल्ड कर दी जाती है।

इन राइडरों ने कलेक्टर से मांग की है कि कंपनी और उसके मैनेजरों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए और उन्हें पहले की दर से भुगतान बहाल किया जाए।

शिकायत की प्रतिलिपि एसपी, थाना प्रभारी, सहायक श्रम आयुक्त और श्रम मंत्री को भी भेजी गई है।

विवरण :: रायपुर जिले में कार्यरत BLINKIT कंपनी (पहले ग्रोफर्स के नाम से जानी जाती थी) के राइडरों ने अपने साथ हो रहे अन्याय को लेकर जिला कलेक्टर रायपुर को सामूहिक रूप से शिकायत पत्र सौंपा है।

राइडरों का कहना है कि कंपनी के हेड मैनेजर सुबितानंद, फील्ड मैनेजर रवि रणुवंशी, और जिले के अन्य ब्रांच मैनेजरों द्वारा उनसे मनमाने ढंग से अधिक घंटे काम करवाया जा रहा है।

आवेदकों के अनुसार उन्हें नियुक्ति के समय 9 घंटे कार्य अवधि तय की गई थी, लेकिन वर्तमान में उनसे 16 से 17 घंटे तक लगातार ड्यूटी ली जा रही है। इसके बावजूद, उन्हें पहले की तुलना में बहुत कम भुगतान मिल रहा है।

शिकायत में बताया गया है कि पहले राइडरों को ₹15 प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जाता था, जिसे घटाकर पहले ₹12 प्रति किलोमीटर, और अब केवल ₹7 प्रति किलोमीटर कर दिया गया है।

राइडरों का यह भी कहना है कि रात 2 बजे तक ड्यूटी करने और सुबह 6 बजे फिर से काम शुरू करने पर ही कुछ इंसेंटिव दिया जाता है। लेकिन डिलीवरी में जरा सी देरी या किसी ग्राहक से विवाद की स्थिति में पूरी पेनल्टी राइडर के खाते में डाल दी जाती है, जबकि वह गलती उनकी न भी हो।

कई बार एक्सीडेंट, गाड़ी पंचर या तकनीकी समस्या होने पर सामान स्टोर में जमा करना पड़ता है और उसके बाद राइडर की आईडी होल्ड कर दी जाती है, जिससे उन्हें आगे काम करने से भी रोक दिया जाता है।

राइडरों ने बताया कि इतने लंबे घंटे काम करने के बावजूद उनकी मासिक आय ₹10,000 से भी कम रह जाती है, जो उनके जीवन-निर्वाह के लिए पर्याप्त नहीं है।

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